Friday, August 21, 2009



मित्रता में मित्र के १ कदम पर हम ५० कदम बढायेंगे ,
पर -
मित्र के १ कदम पीछे जाने पर हम १०० कदम पीछे हों जायेंगे ...
क्युकी -हम समज गये है की ,
एकतरफा कुछ नहीं होता इस् जीवन में..
जबरजस्ती कुछ नहीं मिलता इस् जीवन में...

Sunday, June 21, 2009

पापा misss uuuuuu

क्या कहे पिता के लिए..
जब उनकी याद भी आती है बस आखे नम हों जाती है..
उनकी तरह कोई संभाल नहीं सकता..
जब माँ मुजे उपवास रखवाती थी,और मुझसे भूख सही ना जाती थी,
तो मुजे सब्जी लेने के बहाने ले जाते थे और नास्ता करवा देते थे..
मै कहेती थी."पापा पाप लगेगा,
तो कहेते थे "तुम्हें नहीं लगेगा .मैंने भगवान से सेटिंग कर ली है .मेरी बेटी का उपवास तुड़वाने की सजा मुजे देना.."
मम्मी को खुश रखने के लिए मैंने ऐसे उपवास बहोत किये.."
शादी के बाद एक बार शाम को थोडा अँधेरा होने के बाद मै सब्जी मार्केट में सब्जी ले रही थी..और वहा पापा ने मुजे देख लिया..
मेरे पास आये हाथ पकडा एक ऑटो बुलाया और मेरे घर का रास्ता बताया ..मैंने कहा
"पापा मुजे सब्जी लेनी है "...कुछ सूना नहीं और घर भेज दिया...
घर में कैसे समजाऊ सासुजी को और पतिदेव को..
तभी थोडी देर में पापा आये ३ थैली भर के सब्जी लाये ..और मेरे पतिदेव को कहा "मुजे पसंद नहीं मेरी बेटी अँधेरा होने के बाद घर से बहार हों..आगे से उसे मत भेजियेगा.."
पतिदेव समज गये और सॉरी कहा..
फिर मेरे सर पे हाथ रखकर बोले "अभी मै जिंदा हु...एक फोन कर देना.."
जब उनका देहांत हुवा उसके अगले दिन हम दोनों अकेले थे कमरे में..उनको पता चल गया था की अब वो नहीं बचेंगे..
मुजे कहेते है..बच्चा तुम सब यहाँ रहोगे.और मुजे अकेले को ऊपर जाना..कुछ कह ना, ऊपर वाले से अगर तेरी ही सुन ले..
मैंने बहोत कहा उपरवाले से पर उसने नहीं सुनी...
और पापा को अकेले जाना पडा..
"पापा आज कहो कहा फोन करू आपको ..आज भी मुजे बहोत तकलीफ है..कितनी बार आकाश की तरफ देखके चिल्लाती हु पापा मुजे कोई नहीं संभालता आप कहा हों..
पर अब वो भी मेरी फरियाद नहीं सुनते..
बस दुआ करुँगी की आप जहा हों..आपको दुनिया की हर ख़ुशी और सुख मिले..
कभी कभी होता है काश ऊपर भी कंप्यूटर होते ..और उनका भी आईडी होता..और कभी उनके नाम की बाजु में भी हरी लाइट होती..और मै खुश हों जाती की पापा आज on line है..
पर सब हम चाहते है ऐसा नहीं होता है ना..
miss uuu papa

Friday, June 19, 2009

कितने मौसम गुज़र गये बारीश के,
तुम्हारे बीना..

ये बार भी थोडा भीग लेंगे वापस,
तुम्हारे बीना ..

लोग समजेंगे नहीं हमारी दिल की तड़प को...
बिताता क्या है मेरे साथ ,तुम्हारे बीना..

बारिश में ना भीगेगा ये जिस्म सिर्फ मेरा..
पर रो लेगा वापस ये दिल भी तुम्हारे बीना...

नीता कोटेचा..
क्यों कहेते है की प्यार अँधा होता है ?
?हमने तो खुली आखों वाले लोगो को ही प्यार में एक दुसरे के लिए मरते देखा,,,

क्यों कहेते है की दोस्त भी कभी धोखा देते है यारो,
हमें तो धोखेबाज भी दोस्त लगते है यारो

क्यों कहेते है की अपने ,सारे बेगाने बन जाते है हर पल
हम तो वो बने हुवे बेगानों को अपना बंनाने में ही जीवन बिता देना चाहते है

क्यों कहेते है लोग की आसु से दर्द का पता चलता है
हमारी हसी में भी लोग दर्द को भाप लेते है.

नीता कोटेचा ..
तुमसे करीब रह कर मै दूर हु तुमसे..
और उससे दूर रहेकर मै करीब हु उससे ..
ये दीवानगी कहो या कहो पागलपन..
ना हम तुम्हारे हों सके ना उसके हों सके...

वो मेरी सासों को छु सकता है...
और तुम मेरे दिल को..
पर ना हम उसके हों सके कभी..
और ना तुम्हें पा सके कभी..
वो मुजे पा कर मेरा ना हों सका.
और तुम दुसरो की अमानत हों फिर भी मुझसे दूर ना हों सके..

चलो अब सिकवा छोड़ दिया है ,
और छोड़ दी है शिकायत करनी...
मै उसकी ना हों सकी..
और तुम मेरे ना हों सके..
तो भी गम नहीं अब...
क्योकि हम तो है सिर्फ तुम्हारे और तुम्हारे हमेशा के लिए...

नीता कोटेचा..
आज तुम्हारे अहेसासो में जीने को जी किया..
आज तुमसे दूर रहेकर तुममे रहेने को जी किया..
हमारे बिच में हों फासले चाहे शहर के या सिलो में पड़े हुवे रंज के ...
हमें तो आज तुम्हें पता भी ना हों ऐसे तुममे खो जाने को जी किया..

नीता कोटेचा.
गम भरी जिन्दगी में अगर एक ख़ुशी भी मिल जाये ,
लगता है जैसे जिन्दगी ने थोडी सी करवट बदल ली..

दोस्त अगर दोस्ती निभाने के अलावा,
अगर थोडा सा प्यार कर ले ..
तो लगता है जिन्दगी ने थोडी सी करवट बदल ली..

हम तो चाहते है पूरी दुनिया को दिल से,
कोई हमें भी चाहेगा ,
तो लगेगा जैसे जिन्दगी ने थोडी सी करवट बदल ली..

हम तो उन्हें याद करते है हर पल..
अगर उन्हें कभी हमारी याद आ जाये ,
तो समजेंगे की जिन्दगी ने थोडी सी करवट बदल ली..

नीता कोटेचा..
संमदर के किनारे मै आज जब बैठती हु..
लहेरो की आवाज में तेरा नाम सुनाई देता है..

जो लहेरो में साथ में मिल कर भीगते थे हम,
आज वो लहेरे हमें अकेले देख कर उदास हों जाती है...

जब साथ में अपना नाम हम लिखते थे रेत में...
और लहेरे आके वो दोनों नाम खुद में समां लेती थी..

आज वो ही लहेरे हमें अकेला देख कर..
तेरा नाम मुजे वापस दे जाती है...

नीता कोटेचा.
लहेरे समंदर की बनाना है मुजे..
दूर हों कर दो घडी
वापस समंदर में ही बसना है मुजे..

पाना है तुम्हें और छुना है तुम्हें,
दूर रहेकर भी हमेशा बसाना है तुममे..

तुम ना समज पाओगे कभी मेरे दिल का हाल..
लहेरो की तरह तुममे से ही बन कर
तुममे समाना है मुजे..

नीता कोटेचा..
उसने प्यार दिया हमें बहोत..
हमने प्यार किया उन्हें बहोत...
एक दिन अचानक उसने मुजे पूछ लिया...
की किस हद तक प्यार करती हों हमें...

हमारा दिल टूट गया..
की इतना जानने के बाद ये सवाल क्यों आया..
और जहा सवाल हों वहा प्यार कैसे रहेगा..

क्योकि जहा प्यार हों सवाल होते ही नहीं..

नीता कोटेचा..
हम से दुरी नहीं सही जाती..
और तुम्हारे करीब हम आ नहीं सकते..

अब डर लग गया है खुद से...
की कही इंतजार में ही हम मर ना जाये..

नीता कोटेचा..
हमने सोचा की तुम भूल गये हो मुझे..
पर बहोत सालो बाद मुलाकात हुई तो तुमने पूछा ..
"हमारी दोस्ती कैसे टूटी थी ज़रा मुझे यादा दिलाना..
हम भूल गये है वो कारण.."
मैंने कहा अरे छोडो वो कारण ..तुम्हें इतना तो याद है की हम भी कभी दोस्त थे..
वो ही काफी है बाकी जिन्दगी जीने के लिए॥

नीता कोटेचा
तेरी मेरी दोस्ती की बाते कितनी करू..
तेरे नाराज होने के किस्से, किससे कहू...

ए दोस्त तुजे तो पता भी नहीं था ..
पर तेरे नाराज होने से मेरा दिल बहोत रोता था..
वो मेरे जज्बात की बाते अब किससे कहू..

तू जब मेरा अपना था..
तब तू कितना पास था...
आज जब तू बेगाना है..
फिर तू और ज्यादा पास है..
ये दिल की अजीब हालत की बाते, बता मै किस्स्से कहू ..

जा तू नाराज तो नाराज सही..
तू दूर तो दूर ही सही...
आज भी मेरे दिल के सिहासन पे तुम ही बैठो हों...
वो बाते वा हालत बता मै किस्से कहू...

नीता कोटेचा
तेरे दिल में रहेने की आरजू थी मेरी..
तेरे करीब रहेने की आरजू थी मेरी ..

तू तू ना रहा..
मै मै ना रही..
तू बेगाना हों गया..
मै किसीकी ना हों सकी...

जा रे दोस्त तुजसे क्यों कहेती हु मै दिल की बाते...
तू प्रेमी ना रहा मेरा..
और ना ही बेवफा बना मेरा..

तुजे बददुआ भी कैसे दू मेरे दोस्त...
क्योकि भले तू ना रहा मेरा..
पर मै तेरी रही हर पल...

नीता कोटेचा
कभी कभी उनकी याद इतना सताती है...
आखों से आसु नहीं आग बरसती है...
डर है की ये आग में कही वो बेवफा जल ना जाये..
इसीलिए ये पलके हर दम जुका रखी है...

नीता कोटेचा..
इस तरह तुजे प्यार किया है मैंने..
जैसे एक भक्त करता है भगवाना से प्यार..
तू ही मेरी जिन्दगी है..
तू ही मेरी बंदगी है...
तू ही मेरा प्यार है..
और तू ही सर्वस्व है...
एक दुसरे के साथी बने ..
एक दुसरे के बने संगी...
बस तू है तो सब कुछ है..
नहीं तो हम है दुखी..
तुम जब होते नहीं पास..
ये दिल रोता है बहोत..
और जब होते हों करीब..
जीवन होता है खुश..
ए मेरे साथी ..
एक बात कहेती हु तुमसे मै आज..
तू ही मेरा जीवन है
और
तू ही मेरा प्यार..
तुजसे ही मेरा जीवन है..
और
तू ही मेरा भगवान..
तेरे दिल में रहेने की आरजू थी मेरी..
तेरे करीब रहेने की आरजू थी मेरी ..
तू तू ना रहा..
मै मै ना रही..
तू बेगाना हों गया..
मै किसीकी ना हों सकी...
जा रे दोस्त तुजसे क्यों कहेती हु मै दिल की बाते...
तू प्रेमी ना रहा मेरा..
और ना ही बेवफा बना मेरा..

तुजे बद्दुआ भी कैसे दू मेरे दोस्त...
क्योकि भले तू ना रहा मेरा..
पर मै तेरी रही हर पल...

नीता कोटेचा

Thursday, June 4, 2009

ये दिल फुट फुट कर कभी रोना चाहता है...
और आखों को इजाजत भी नहीं होती ...की वो रोए..
इतनी गुलामी से जीना पड़ता है अपनी ही जिन्दगी को...
के अगर जीना हों खुद की सुबह हमें...
तो भी पूछना पड़ता है अगर तुम कहो तो आख खोले...


नीता कोटेचा
जब भी देखती हु चारो और..
खुद को अकेला ही पाती हु...
कितने लोगो को अपना बनाया
और बसाया दिल में सब को..
पर कोई करीब नहीं...
कोई अपना नहीं..
जैसे हम पहेले भी अकेले थे
और
आज भी अकेले ही रह गए ...


नीता कोटेचा..

Monday, June 1, 2009

किसे कहे हम अपना ....
किसे कहे बेगाना...
कभी होता है वो बहोत अपना
और
कभी बहोत बेगाना..
करते है हम तो सबसे प्यार...
किसे कहे बेगाना और किसे कहे अपना..

नीता कोटेचा..

Thursday, May 21, 2009

आज भी माँ मुजे डाटती है...
अगर आज भी मै गलत दोस्तों के साथ बात करू मुजे वो उसकी नजरो से डाटती है..
आज भी अगर मै घर में कुछ बोलू वो मुजे बाजु में बिठाकर डाटती है..
आज भी अगर मै मेरे बच्चो को गुस्सा करू , तो मुजे मेरा बचपन याद दिलाकर डाटती है..
कुछ होता है अजीब अगर जिन्दगी में ..मै आज भी चली जाती हु उसके पास..
पता है पहेले डाट पड़ेगी..पर फिर मिलेगा दुलार..
बस माँ ये डाट मेरे पर कायम रखना..
तभी मै सही जिन्दगी जी पाती हु..

नीता कोटेचा
जिन्दगी में शामिल हों गये हों इस तरह मेरी..
की सास नहीं चलती अब तुम्हारी याद बीना..
बस डर है एक khud की किस्मत के कारन...
की कही खो ना दू तुम्हें भी सब लोगो की तरह...

नीता कोटेचा.
ये वो ही जगह है , जहा हम जुदा हुवे थे...
तुम तब भी बहोत खुश थे..
तुम आज भी बहोत खुश हों..

नीता कोटेचा..
अरे तेरे नाम से मेरी सास चल रही है ..मैंने कभी ऐसा भी सोचा था..
देखो तुमसे बिछडे हुवे बरसो बीत गये, हम आज भी जिंदा है ....

नीता कोटेचा...
मुझे भूल सको तो बहोत अच्छा..
पर ना भूल सको तो कहेना मुजे,
बेवफा बनके मै मदद करुँगी तुम्हारी...

नीता कोटेचा..
कोई यहाँ मिलता है..और कोई bichad जाता है...
कोई यहाँ सच्चा है और कोई यहाँ जूठा है...
पता नहीं चलता की लोगो को प्यार करे की नहीं...
क्योकि कोई यहाँ अपना है कोई पराया है....

नीता कोटेचा...
आखिर सबसे ज्यादा रिश्ते ही दर्द देते है..क्योकि वो रिश्ते है ना...
और उससे ये दिल बहोत उदास होता है..क्योकि वो हमारा दिल है ना.
एक बार टूटे तो हम जोड़ने का भी प्रयत्न नहीं करते...
क्योकि वो हम है ना..

नीता कोटेचा...
प्यार आख का आंसू है ..
और प्यार दिल की धड़कन है...
पर प्यार मत करो दोस्तों, किसी से दुनिया में ..
क्योकि
प्यार ही धीमा जहेर है...

नीता कोटेचा
प्यार ने बहोत रुलाया दोस्तों ..
और प्यार ने बहोत तरसाया दोस्तों ...
अब ना चाहिए किसीका प्यार हमें दोस्तों ...
क्योकि प्यार ने बहोत कुछ सिखाया दोस्तों...

नीता कोटेचा..
कभी जब दोस्तों से धोखा मिलता है हम समजते है की हमने लोगो को पहेचाना नहीं..
पर ऐसा नहीं ..सही बात ये है की हमने खुद को ही पहेचाना नहीं...

नीता कोटेचा
रास्ते वो है..अहेसास वो है..याद वो है आज भी ताजा..
बस तू नहीं कही...और अब तो हमें तुम्हारी तलाश भी नहीं ...
बस तुम्हारी यादे ही काफी है ...हमें जीवन बिताने के लिए..

नीता कोटेचा..
जहा देखती हु तुम ही तुम नजर आते हों...
कैसे हों तुम की बेवफा हों कर भी दिल से दूर नहीं हों..

नीता कोटेचा..
वो हमें करते है प्यार बहोत ..पर जब उनको समय हों तब...
और
हम प्यार करते है उनको इतना...
जब जब हम सास लेते है...
और हर पल.
बस उनको पाना चाहते है..

नीता कोटेचा..
अफसाने बने या ना बने मेरे जाने के बाद भी...
पर हम तो तुम्हारे दिल में थे
और
हमेशा रहेंगे हमारे के जाने के बाद भी...

नीता कोटेचा..
तुमसे दूर होने का अहेसास कर पाना अब तो मुश्किल है...
इससे अच्छा है की हम मौत की गोद में सो जाए..

नीता कोटेचा.
TO JEET, ANNU, NIRU...RASHMIJI , ANNURADHA,KAVITA, DAISY ..AUR BAHOT SARE DOSTO KE LIYE...

कभी कभी कोई संत महात्माओ की बड़ी बड़ी बातें हमारी समझ के बाहर होती है . पर एक दोस्त का समझाना जिन्दगी जीने का तरीका बदल देता है .

नीता कोटेचा..
firoz kahan abhi ye soch rahe honge...

मरने के बाद ही लोगो ने मुझे याद किया..
नहीं तो कोई तस्वीर भी देखता नहीं था हमारी बहोत अरसे से...

नीता कोटेचा..
दोस्ती कैसे निभाई जाये कोई हमसे पूछे..
दिलो जान से चाहना किसे कहेते है कोई हमसे पूछे..
इंतजार में गंतो दिन महीनो ही नहीं..
पर जन्मो तक कैसे इंतजार किया जाये कोई हमसे पूछे...

नीता कोटेचा..
अचानक कोई सामने से आके हस देता है..ना जान ना पहेचान...अचानक कभी कोई मदद कर देता है...जब हम कोई टिकिट की बड़ी सी लम्बी कतार में खड़े हों और अचानक कोई आ कर कहे हमें, की मैंने ये कूपन लिया है ज्यादा है क्या आपको चाहिए... कभी कोए आ कर कहेता है की मुझे ऐसा क्यों लगता है की मैंने आपको कही देखा हुवा ऐसा महेसुस होता है...और हमारे दिल के तार भी हिल जाते है॥कभी कुछ काम कर रहे हों तो ऐसा होता है की ये काम हमने पहेले भी तो किया हुवा है...कभी कोई ऐसी जगह पे जहा हम जाते है जहा पहेली ही बार गये हों पर ऐसा लगता है मै याहा आ गई हु पहेले ... पहेले नेट का कोई विश्व था ऐसा हमें पता नहीं था..पर अब ऑनलाइन हमारे बहोत सारे दोस्त है..ऑरकुट में लाखो लोग है..हम क्यों उसमे से १०० को अपना बनाते है..और उसमे से भी क्यों हम सिर्फ १० से महोब्बात करने लगते है...उसके दुःख से हम दुखी होते है..और उसके सुख से हम सुखी होते है..क्यों एक ही के घर में रह रहे लोग एक दुसरे से बहोत दूर होते है और बहोत दूर रहेने वाले लोग दिल के करीब होते है.. क्या आपको इससे सवाल नहीं होते दिल में ऐसा क्यों होता है हमारे साथ ??
क्यों कभी कोई अपना लगने लगता है..क्यों कभी कोई अपना लगने लगता है..और कोई पराया..क्या इसमें कही कोई जन्म की लेनदेन बाकि रह गई होती है...मै ये मानती हु की हा ऐसा ही है..हमारा अगर किसी जनम का लेनदेन बाकी हों तो ही हम एक दुसरे के सामने मुस्करा लेते है...नहीं तो मुस्कराना भी मुश्किल होता है..तो मै मानती हु की हा कुछ है जिसे हम पुनर्जनम कह सकते है...क्या आप मानते है??
दर्द तो हर दिल में छुपा होता है...

बस इतना समज लो...सब अपनी खामोशियों को समज लेंगे..

नीता कोटेचा


तेरी याद आज आसु बनके आखों से गिरी...

तब पता चला की,

तुम दिल में हों

आखों में हों

मन में हो

और

रोम रोम में हो ..


नीता कोटेचा
यु इंतजार करते हुवे ज़माना बीत गया...
अब तो आ जाओ सास निकलनेकी देर है..

नीता कोटेचा.
स्त्री ?? ये कौन से प्राणी का नाम है..हा वही ना जो अपना निर्णय भी खुद ले नहीं सकती...वो ही ना जो अपने वजूद के लिए लड़ भी नहीं सकती...और वो ही ना जो ये आजाद देश की गुलाम है...हा इसे तो कही देखा है..घर के कपडे धोते हुवे...४० सल् शादी को हो जाये फिर भी मईके के नाम से गाली खाते हुवे...उसे कहा शर्म और अपनी इज्जत की कुछ रक्षा करनी आती ही है..वो दुसरो के सामने सर उठाकर जीती है ..पर अपने ही .घर वालो के सामने सर जुकाकर जीती है..रोज उसकी वासना का शिकार बनती है रोज सास की गलिया खाती है...पर फिर भी उसीके साथ जीती है...क्योकि माता पिता तो रखेंगे नहीं और यहाँ भी उसका .घर थोडी है ये तो ये सास का है या पति का..उसका तो कुछ भी नहीं..ना बच्चों के पीछे उसका नाम लगता है..
पर अपना भारत देश महान है यहाँ तो सती सावित्री ने जनम लिया था..और सब पतियों को सावित्री ही चाहिए..और सावित्री बनने की कोशिष में वो अपना आखरी सास ले के मर jati है..बात ख़तम स्त्री नाम के प्राणी की...
एक फुल काफी है जिंदा औरत को सजाने के लिए ...
हजारो फुल कम है एक मैयत को सजाने के लिए...

नीता कोटेचा..
अब ना करेंगे तुम्हें मनाने की कोशिष..
क्योकि अब हमें भी थोडी देर रूठना है....


नीता कोटेचा..
कोई शिकायत नहीं जिन्दगी से..
बस ये तो बातो बातो में कुछ दर्द बया हो गया जुबा से..

नीता कोटेचा..
जिनके जरिये हम तुम्हें मिले वो जरिया ही टूट गया ..
और जिनको महोब्बत दिल से की वो दिल ही टूट गया...

नीता कोटेचा..
अगर तुम पास होते हम कस लेते अपनी बाहों में ..
.ऐसे जैसे एक बच्चा चूम लेता है माँ के वक्ष को. .
और एक प्रेयसी छुपा लेती है अपना मूह अपनी प्रेमी की छाती में..
और
एक दोस्त जो अपना गम छुपाने छुप जाता है अपने दोस्त की आगोश में...

नीता कोटेचा.
तुम्हारी सासों में..मेरे सासों की खुशबु आने लगे समजना की हम वही कही है...

नीता कोटेचा..

Tuesday, May 19, 2009

यु ही मुस्कराते हुवे उनसे मुलाक़ात हुई थी ..
आज तो जुदा हो गये है उनसे..
आज भी है मुस्कराहट पर सिर्फ उनके चहेरे पर..

नीता कोटेचा
चलो और एक दोस्त मिल गया जिसने हमसे बेवफाई की और हमें ही बेवफा कह दिया...

नीता कोटेचा..
कोई शिकायत नहीं जिन्दगी से..
बस ये तो बातो बातो में कुछ दर्द बया हो गया जुबा से..

नीता कोटेचा..
हवा की खुशबु में भी उनकी खुशबु मुजे महेसुस हो रही है दोस्तों..
चलो अब आंधी आये तो भी खुश हु क्योकि उनको ज्यादा महेसुस कर सकुंगी ..

नीता कोटेचा
जिसे दिल हमने दिया वो खुद ही पत्थर थे ..
ना उन्हें पता था दीवानापन क्या होता है..प्यार में ..

नीता कोटेचा
वफ़ा की बाते अब ख्वाब सी लगती है...
यहाँ तो प्यार का शब्द सुने ज़माना बीत गया..

नीता कोटेचा.
हम किसी अपने को दूर करने की कोशिष करते है ..
उसका ये मतलब है की खुद से ही बेवफाई करते है...

नीता कोटेचा
अगर कोई अपना बनना न चाहे तो उस जबरदस्ती मत करो...
वो प्यार का कोई मतलब नहीं रहेता...

नीता कोटेचा..
कांटे चुभते है ..तभी तो फूलो का स्पर्श सुखद लगता है ..
नहीं तो कौन यहाँ दिल वालो की कदर करता है...

नीताकोटेचा
ये हार है या जीत है...
हम भी तय न कर सके..
क्योकि वो पास थे तब भी दूर थे..
और
आज वो दूर है फिर भी पास है...

नीताकोटेचा
खुली किताब हो जिन्दगी की दोस्तों के सामने तो अच्छी लगती है..
नहीं तो अँधेरे में ही दोस्त भटकते रहेते है...

नीताकोटेचा
अरे मै कैसे दू दर्द तुम्हें...
मुझे मेरे दर्द का अहेसास है...
दर्द मै दे नहीं शक्ती किसीको भी ..
मुझे तो दर्द सबका बटोरना आता है..

एक माँ
ना नाम चाहिए
ना पहेचान..
ना दिल में बसाना किसीको,
और बसना किसीके दिल में...
दर्द देते है ये रिश्ते बहुत...
ना मुझे अब कोई अपना चाहिए...

नीता कोटेचा
चंचल बच्ची थी कभी मै...
और आज वो बचपन खो गया है
लोगो को अपना बनाने में मैंने
खुद को ही खो दिया है..
ना खुदा के करीब हो सकी ना खुद के करीब..
यु ही मुजमे मैंने खुद को खो दिया है...
और फिर भी अपना ना बना कोई...

नीता कोटेचा..
जिस जिस से वफ़ा करोगे
वो ही धोखा देंगे
ये उसूल है दुनिया का.
और
महफ़िल में सुनाते अगर दिल की बाते
तो वहा भी कोई नहीं रोता...
अब लोगो के दिल पत्थर बन गये है..

नीता कोटेचा.
हमें एक बार अपना मान के देखो..
मुझे , खुद में पाओगे..
इतनी हम दोस्ती निभाना जानते है..

नीताकोटेचा
आइना देखने की जरुरत क्या है दोस्त मुझे तेरी तस्वीर के लिए..
मै तुम्हें, खुद में महेसुस करती हु अब तो..

नीता कोटेचा.
उन्हें ही पता नहीं हम चाहते है उनको कितना.
और हम उन्हें चाहने में दुनिया भुला बैठे..

नीता कोटेचा..
जब दुखो की तीखी धुप तेज बरसती हो,
जिदगी जीने का अहेसास मर जाता है..

नीताकोटेचा
प्यार में अगर वो जीते तो हम उनकी दोस्ती से भरपूर होंगे...
और अगर हम हारे तो हमारे प्यार को वो तरसेंगे...
अगर हम जीते तो उनकी हार होने न देंगे...
और अगर वो हारे तो उनको हम सजा के रखेंगे हमारे दिल में...
प्यार में ना हार होती है न जित..
YE तो वो खजाना है जो देने से बढ़ता है ..
तो कोई दे चाहे ना दे बस सब को प्यार देते चेलो...

नीता कोटेचा..
कोई हमारे लिए आसु बहाता नहीं ,
कोई हमारे लिए मुस्कराता नहीं..
YE दुनिया है मतलबी दोस्त.
यहाँ कोई अपना बनता नहीं..

नीता कोटेचा
इस तरह खामोश रह कर बिताई है जिन्दगी मैंने..
की मेरी धडकनों को भी पता नहीं, दिल रो रहा है..

नीता कोटेचा
न हों जज्बात काबू में तो दुनिया डुबोती है..
गर रखे खुद क काबू में तो जिन्दगी जीने कहा देती है...

नीता कोटेचा.
शिकायत करनी न आई तो लोगो ने समजा दर्द नहीं है..
और आसु में हम खुद को डुबोते चले गये..
naa उन्हें पता चला की हम तड़पते है उनके लिए ...
और naa हमने बताना जरुरी समजा..
क्यों khuch बोलके बताये की ,कितना प्यार है हमें तुमसे..
हमारे जनाजे पे आके देख लेना..
वहा भी तुम्हें हमारे प्यार का अहेसास मिल ही जायेगा..

नीता कोटेचा.
हामारे दिल में बसते गये लोग..और हम बसाते गये..
एक एक करके दिल तोड़ते गये..और हम बीना कुछ कहे टूटते गये..

नीता कोटेचा..
यु तो ज़िन्दगी गुजर रही थी अपनों के सहारे..
पर अब तो बीतती है सब की दुआ के सहारे.
अब तक तो साथ था बहोत लोगो का मुझे.
पर अब तो साथ है अपनों का मुझे..
अब तक के रिश्ते थे नाम मात्र के..
पर अब लोगो ने दिल में बसाया है मुझे..

नीता कोटेचा
काश के आज तुम करीब होते और काश के हम साथ में होली मनाते ..
थोडा गम कम होता..
किसीके खोने का अहेसास कम होता..
और वो उनका रूठना और हमारा मनाना ..
याद थोडी कम आती ...
चलो हम आज फिर अकेले है..
उनकी यादो के सहारे है..
पर अगले साल ए दोस्त ये गम कम करने मेरे करीब ही रहेना..

नीता कोटेचा
हम वो नहीं जो दोस्ती करके अकेले छोड़ दे.
हम वो नहीं जो यारो को तडपाये...
हम वो है जो यारो को दिम में सजा के रखे...
और अपने प्यार से उसके सब गम भुला दे...

नीता कोटेचा..

Saturday, May 9, 2009

ओह मम्मी मुजे माफ़ कर देना..

एक बार तुम रो रही थी...
क्योकि मैंने तुम्हें जोर से कुछ कह दिया था..
पर तुम तो अपना अपना काम करते करते चुपचाप रो रही थी...
मुजे पता भी चलने नहीं दिया था...
और अचानक मै आई वहा पानी पिने..
तो देखा तो तुम्हारी आखों से अश्रु बहे जा रहे थे..
मैंने पूछा मम्मी क्यों रो रही हों??
तो तुमने कहा , नीता अगर मेरा बच्चा मुजे जोर से कुछ कहेगा तो कैसे सहु ??
मुजे बहोत दुःख हुवा की मैंने मम्मी को रुलाया..
मै उसके गले लग गई और कहा अरे मुजे डाट दिया होता..
तो मम्मी ने सिर पे हाथ घुमाते हुवे कहा.. मै जोर से तुम्हें कुछ कहेती तो क्या तुम्हें दुःख नहीं होता..
ओह मम्मी मुजे माफ़ कर देना..
मै आज भी वो दिन याद करके रो पड़ती हु...

नीता कोटेचा..

Saturday, April 11, 2009

ऑरकुट के मित्र..

http://www.orkut.co.in/Main#Profile.aspx?uid=११३१९८९०३४९३००४१४५०१

ये है MR.ARVIND की प्रोफाइल ..जो मेरे लिए अजनबी है..जिनको मई कभी मिली.हु और ना बहोत पुरानी दोस्ती है हमारी..पर मेरा ब्लॉग पढ़ा तो उन्होंने उसमे यशोदा पालन का लेख पढ़ा ..और उन्होंने ३००० rs भेज दिए ..
सिर्फ़ ब्लॉग की bat पढ़कर ..इतना भरोसा..बहोत ज्यादा है ....पर उन्होंने किया..और हम उनका शुक्रिया अदा करते है..जिससे यशोदा जी को बहोत मदद मिली..और अरविंद जी को बहोत आशीर्वाद..

नीता कोटेचा..

Wednesday, April 8, 2009

जिसे दिल हमने दिया वो खुद ही पत्थर थे ..
ना उन्हें पता था दीवानापन क्या होता है..प्यार में ..

नीता कोटेचा
वफ़ा की बाते अब ख्वाब सी लगती है...
यहाँ तो प्यार का शब्द सुने ज़माना बीत गया..

नीता कोटेचा.
हम किसी अपने को दूर करने की कोशिष करते है ..
उसका ये मतलब है की खुद से ही बेवफाई करते है...
नीता कोटेचा
अगर कोई अपना बनना न चाहे तो उस जबरदस्ती मत करो...
वो प्यार का कोई मतलब नहीं रहेता...

नीता कोटेचा..
कांटे चुभते है ..तभी तो फूलो का स्पर्श सुखद लगता है ..
नहीं तो कौन यहाँ दिल वालो की कदर करता है...

नीताकोटेचा

Monday, March 30, 2009

सबसे पहेली बात मै ये कहेना चाहूंगी की मेरी हिंदी ज्यादा अच्छी नही है..पर मेरे हिंदी भाषी दोस्तों ने कहा की नीता तुम्हारी कहनिया हम कैसे पढ़ सकेंगे ,हमें तो गुजराती आती ही नही ..तो अगर तुम उसे हिंदी में लीखो तो ज्यादा बहेतर होगा..तो आज पहेली बार कोशीश कर रही हु ..तो अगर ग़लत हिंदी हो तो मुझे क्षमा कर दीजियेगा
और उसे थोडा बरोबर करके पढियेगा॥[:)]
और दूसरी बात मेरी सारी बाते सत्य बात होती है..कोई काल्पनिक बातो को मै नही लिख सकती..सब देखी हुई बातें है..ये भी एक सत्य बात ही रजु की हुई है..

)

"हे भगवान आज वापस जगडे ,पता नही ये दोनों को क्या है ??ना उपरवाले ने बच्चे दिए है की उनके कारण कभी जगडे हो ..पर ये दोनों अकेले रहेते है..पर शाँति से जी नही सकते."वनिता ने अपने पति अमर को कहा..
"अरे पर तुम्हे क्या? देखना अभी थोडी देर में भाभी यहाँ आयेंगे और क्या क्या हुवा उनके घर में वो सब तुम्हे बताएँगे..नही तो उन्हें भी कहा तब तक शाँति मिलेगी "वनिता के पति अमर ने कहा..
और वो ही हुवा ..दस मिनिट में भारती भाभी आए ..और वनिता के बाजू में बैठके रोने लगे
वनिता ने कहा' भाभी रोइए मततुम्हे तो मालुम है की शैलेश भाई के मन में कुछ नही होता..रातको घर पे आयेंगे तब उन्हें तो यादा भी नही होगाकी सुबह जगडा हुवा था॥"
तभी भारती भाभी ने कहा"हां वनीता ठीक है ,उनको याद नही रहेता..पर रोज ऑफिस जाते वकत वो जगडा करके जाते है..और ख़ुद तो रातको हसते हुवे आयेंगे पर मै पूरा दिन वो ही खयालो में बिताती हु..और जान जलाती रहेती हु..कब वो सुधरेंगे वनीता॥"
वापस वनीता ने उन्हें समाजाने की कोशिश की "भाभी देखिये ,आदमी लोग भी तो पूरा घर चलाते है..पुरी जिंदगी बहार काम करने जाते है,उनको कैसे कैसे लोगो से बातें सुननी पड़ती है..तो अब वो गुस्सा घर वालो पे ही निकालेंगे..हमें कहा ज्यादा देर उनका गुस्सा सहेना है..देखो अभी चले गए तो रातको आएंगे..भूल जाइए ..और चलो अभी मै आती हु आपके घर में ,साथ में मिल के खाना खाते है॥"
इस बिच अमर एक ग्लास पानी भरके भारती भाभी को दे के गया..और वनीता के सामने चोरी से थोडा हस ही लिया..क्योकि ये रोज का क्रम ही हो गया था सब कुछ...
भारती भाभी घर पे गए ..और थोडी देर में वनीता के घर का फोन बजा
वनीता ने फोन उठाया ..तो सामने शैलेश भाई थे.शैलेश ने कहा "क्या भाभी ,वनीता का प्रोग्राम ख़तम हुवा की नही..गई वो घर पे..अगर आपके घर में है तो कुछ मत बोलिएगा..मै बाद में फोन करूँगा..."और शैलेश भाई हस रहे थे॥"
वनीता ने कहा "क्यों शैलेश भाई आप उसे रोज परेशान करके जाते हो और ऊपर से हस रहे हो..यहाँ उनकी जान निकल जाती है रो रो के..मै ही आज आपको फोन करने वाली थी.. "
अभी तक शैलेश जो हस रहा था, वो अचानक चुप हो गया ..और उसने कहा.."भाभी ,अगर मै उससे जगडा करके नही जाउंगा.तो भी वो रोने वाली तो है ही..वो हमें बच्चे नही है उसके लिए रोएगी..ये तो मै जगडा करके जाता हु तो कमसेकम विषय तो बदली होता है..वो कारण से रोए.. इससे अच्छा है मेरे जगडे के कारण रोए....मै तो रातको आके मना ही लूँगा उसे..चलो अब मै फोन रखता हु, जरा उसे संभालना.."
और सामने से फोन बंध हो गया..
और वनीता सोच में पड गई की शैलेश भाई कितना प्यार करते है भाभी से ,कितना दूर का सोचते है..मुझे तो ये ख़याल भी नही आया
ऐसे ही भारती को सँभालते संभालते शाम हो गई ..सब अपने काम में व्यस्त हो गए
रात को बजे भारती भाभी आए ..और वनीता से कहा देखो देखो...आज तुम्हारे भाई साहेब हमारे लिए कितनी प्यारी सारी ले के आए..और जैसे सुबह कुछ हुवा ही नही था इस तरह से वो वनीता से बाते करने लगी
और वनीता भी दिल में मुस्करा रही थीऔर सोच रही थी की ये कैसा संसार है..कभी हमें उसी आदमी के लिए ये ख़याल आते है की हम क्यों जीते है इसके साथ।?? और कभी वो ही आदमी हमें कितना संभालता है..कितनी बार हमारी सोच बदलती है..
ऐसे ही दुसरे महीने बीत गए
एक बार रातको बजे अचानक जोर जोर से बेल बजने की आवाज आई ..वनीता और अमर भी डर गए की ये वक्त कौन सकता है..दोनों ने दरवाजा खोला.तो भारती भाभी रोते रोते खड़े थे..और बोल रहे थे "वनीता जल्दी चलो तुम्हारे भाई को कुछ हो गया है॥"
वनीता और अमर दौड़ के उनके साथ गए
वहा जाके देखा तो शैलेश भाई जमीन पे गीरे हुवे थे
उन्होंने तुंरत डॉको फोन किया..और डॉने आके कहा की "शैलेश भाई अब इस दुनिया में नही रहे.. "
और भारती भाभी पे तो जैसे आसमान टूट पडा..उनको संभाला नही जा रहा था वनीता से
भारती भाभी रोते रोते बोल रहे थे की वनीता इनसे कहो की मेरे साथ जगडा करे..ऐसे चुप ना रहे
मै नही जी सकती इनके जगडे के बिना
वनीता को पता नही चल रहा था की कैसे संभाले .. भारती भाभी को
अमर ने उनके सब रिश्तेदारो को फोन किया.सब को आते आते सुबह हो गई.
मुशकिल से भारती भाभी ने शैलेश भाई की अंतिम यात्रा निकालने दी.
पर अभी भी भारती भाभी एक ही बात बोल रहे थे ..वनीता अब मै कैसे जीयूँगी उनके बिना.कौन मेरे साथ जगडा करेगा..और कौन मुझे प्यार करेगा
वनीता से उनकी बातें बर्दास्त नही हो रही थी..और साथ में शैलेश भाई ने जो उसे फोन पे बताया था.वो सब याद रहा था ..
वो दूसरी रात वनीता ने सोचा की आज इनके पास ही सो जाती हु..और वो भारती भाभी के घर ही रुक गई
सुबह वो उठी तो अभी भरती भाभी सो रहे थे..तो उसने सोचा चलो मै थोड़ा कम करके आऊ घर का..फ़िर वापस आती हु और भाभी के साथ ही रहूंगी...
और वनीता अपने घर गई..करीब गंटे बाद वो वापस आई तो देखा की भारती भाभी अभी भी सो रहे थे
अब उसे लगा उनको उठा देना चाहिए
और वो उनको उठाने उनके करीब गई..और जैसे उसने भारती भाभी को छुवा ..उनका बदन एकदम ठंडा था
वो एक रात भी शैलेश भाई के बिना नही काट सके..





इस तरह खामोश रह कर बिताई है जिन्दगी मैंने..
की मेरी धडकनों को भी पता नहीं, दिल रो रहा है..

नीता कोटेचा
ख्यालो में कहा वो तो धड़कन में है..
एक एक सास में जैसे उनकी खुशबु है..

नीता कोटेचा..
शिकायत करनी न आई तो लोगो ने समजा दर्द नहीं है..
और आसु में हम खुद को डुबोते चले गये..
ना उन्हें पता चला की हम तड़पते है उनके लिए ...
और naa हमने बताना जरुरी समजा..
क्यों कुछ बोलके बताये की ,कितना प्यार है हमें तुमसे..
हमारे जनाजे पे आके देख लेना..
वहा भी तुम्हें हमारे प्यार का अहेसास मिल ही जायेगा..

नीता कोटेचा.

Tuesday, March 10, 2009

मेरी माँ

मैंने एक बार माँ से कहा :माँ मुझे अपनी गोद में सुला लो..
मै थक गई यहाँ की मतलबी दुनिया से और मतलबी लोगो से.."
तो माँ ने कहा"बेटा, ये तो वो लोग है जो जिन्दगी जीना सिखाते है..
मै कैसे तुम्हें उनसे दूर रखु..तुम फिर कभी लड़ ना पोगी.."
तो मैंने कहा "माँ मुझे नहीं लड़ना इन लोगो से जो मेरे नहीं है पर मेरे होने का अहेसास जताते है.."
तो माँ ने कहा" ये अहेसास ही काफी है, यहाँ तो लोगो को मतलबी लोग भी नहीं मीलते..
तुम जियो इन्ही के बिचमे..
तब ही तुम सिख पोगी दुनिया में जीना.."
मै नाराज़ हो के चल रही थी तब माँ ने कहा..
"जाओ मत दो पल सो जाओ मेरी गोद में..इससे तुमसे ज्यादा मुझे सुकून मिलेगा..मै मतलबी नहीं ..मै तो एक ऐसी इन्सान हु तुम्हारी जिन्दगी की जो हर बार मुश्किलों में सर पे हाथ रखकर मुश्किलों से लड़ना सिखायेगी.."

और माँ देखो ,आज मुझे सब मतलबी ओ के बिचमे भी अपनापन ढूंढना आ गया..

नीता कोटेचा.

Saturday, March 7, 2009

कितना अजीब लगता है मुझे तो ये शब्द ही महिला दिवस..
साल में एक दिन मनाओ और उसमे भी सभी महिलाए खुश..
जैसे उनमे तो अक्कल ही नहीं है न...
आज भी उनको सुनना पड़ता है की कमाने की लालच में तुमने अपना स्त्रीत्व गुमा दिया है ..
पहेले से प्रथा चली आती थी की पुरुष घर के बहार जा कर कमाता था और नारी घर को संभालती थी..
पहेले जब कोई रिश्ता आता तो पहेले पूछा जाता था की आपके दादा कौन थे ..आपके मामा कौन है...अभी तो शादी के लिए रिश्ते आते है तो पूछा जाता है की आपकी बेटी कौन सी कंपनी में काम करती है कितना पगार है ..
ये है सुधरा हुवा समाज ..
अरे क्यों मनाते है ये दिन..
जब की आज भी भाई के ..या पापा के या फिर पति के मुड के ऊपर स्त्री ओ का दिन अच्छा जायेगा या बुरा जायेगा ये तय होता है...
जैसे नारी पहेले gulaam थी उतनी ही आज भी है..
आज भी टीवी में बालिका बधू और लाडो जैसी सीरियल दिखाते है मतलब की कही ऐसा हो रहा है वो सही है..और वो ही सोच के बुरा लगता hai ..
एक बेटी जब २१ सल् की होती है तो आज भी सब बाजू से आवाजे आने लगती है की अब कितना इंतजार करोगे ..शादी तय कर लो..जैसे शादी के अलावा जिन्दगी का कोई हेतु ही नहीं है दूसरा..

क्यों ये सब दिखावा होने देते है हाम मुझे वो ही पता नहीं चलता.
आज का दिन है जब हम ये दिन का विरोध करके अपना आक्रोश जता सकते है...
लोग मुझे कहेते है की नीता तुम क्यों इतना कड़वा बोलती हो...
पर मुझसे ये आडंबर की दुनिया नहीं सही जाती है...
मै नहीं मना सकती जूठ मुठ के दिन, क्या करू??
अगर हम नारियाँ एक हो जाए तो किसी भी पुरुष में इतनी शक्ति नहीं की हमें परेशान कर सके..
और ये शुरुआत हर सास और बहु को करनी है...

Tuesday, March 3, 2009

मुजमे मै समाया हुवा हु ,
पर खुद को ही कभी मिलता नहीं मै..
यादो की दस्तक और इंतजार की दस्तक ,
उसी में मै ढूंढ़ता हु खुद को ...


नीता कोटेचा

Monday, March 2, 2009

बचपन की वो कड़वी यादे

बचपन की वो कड़वी यादे ..लेकर बड़े हुवे...
तो लगता था,
कि
अपना होगा घर..
और अपने होंगे बच्चे...
और हम जियेंगे अपनी तरह..
ना किसीकी डाट सुनने कि ..न कभी फटकार सुनने कि..
अब तो मै जियूंगी अपनी तरह...
पूरा आकाश मेरा और पूरी धरती मेरी...
पर जैसे जैसे बचपन बिछड़ता गया.
पता चला कि वो कड़वी यादे कितनी मीठी थी...

नीता कोटेचा

Monday, February 16, 2009

खुदा, तेरी महेफिल में हम ये फरियाद करते है..
उन सब को खुश रखना जो तुम्हें याद करते है..

तेरी महेफिल में सर जुकाया हमने इसलिए
क्योकि तेरे बनाए हुवे जहा को तेरे ही लोग रोंद रहे है..

हमने कहा वो सबको खुश रखना जो तुम्हें याद करते है..
तो खुदा मुझे इतना बता दे की जो तुम्हें याद करते है
वो
ऐसे कैसे होते है...
की लोगो का खून भी बहेता है तो उनको कोई फरक नहीं पड़ता.

अब क्या कहू खुदा ऐसे लोगो के लिए..
पर हम तो तेरे सच्चे बन्दे है...
तो ये ही दुआ करते है
की
कैसा भी हो वो..
पर
उन सब को खुश रखना जो तुम्हें याद करते है..

नीता कोटेचा..

Sunday, February 15, 2009

दिल में हो सुकून तो दिन में तारे लगते है..
और जो हो बेचेनी तो अपने भी पराये लगते है...
खुद ही खुद की छबी देखके ,
खुद को भी पहेचानते नहीं हम..
क्योकि जब खुदा हो रूठा तो
चलती सास भी भारी लगती है..

नीता कोटेचा
जब से तुम्हें दिल में बसाया हमने ,
हसना भूल गये और रोना भी भूल गये..

दुनिया ने इस तरह से सताया की तुम्हें भूलना भूल गये..

पल पल उन्होंने दिए ताने तुम्हारे नाम से ,
की तुम एक पल दूर न हो सके मुझसे..

दूर हो गये हो हर पल के लिए मुझसे..
पर यु दिल में बसे हो जैसे एक ,

चुभता हुवा नासूर जो मीठा लगता हो..

नीता कोटेचा
प्रेम मौन है ..अगर हल्ला हो तो वो प्रेम नही, शायद है दिखावा..

प्रेम लेना नही ..प्रेम देना है..अगर उसमे उम्मीद कि,तो ज्यादा टिकता नहीं ...

प्रेम में भूल जाना है दुनिया को..बस सिर्फ प्रेम करना है एक दूजे को..

गलती देखनी नहीं है दूजे की..ये प्रेम नहीं है
पर
गलतिया दिखती ही नहीं दूजे कि,
इसे ही सच्चा प्रेम कहेते है (मेरे विचारों से..)

नीता कोटेचा

शरीर या सिर्फ आत्मा.

अगर मै आत्मा हु तो मै रोता नहीं हु ..
और
अगर मै अभी भी शरीर हु,
तो हा मै रोता हु..
बहार से भी और अन्दर से भी...
और वो रोना कभी भी बंध नहीं होगा..
खुद तलाशिये खुद में की हम क्या है...
शरीर या सिर्फ आत्मा. ...

नीता कोटेचा..

Monday, February 9, 2009


नमस्ते दोस्तों
मै आपकी दुनिया में पहेली बार प्रवेश कर रही हु...मेरा नाम यशोदा पलन ..मै लेखिका और कवियत्री हु ..मेरी दो पुस्तक गुजराती में प्रकाशित हुई है ....
अगर आप मुझसे मिले होते तो आपको ऐसा लगता की ये कैसे लिखति होगी?क्योकि मै फिजिकली hendIkep हु ..सात सल् की आयु से ही रुमेटोइड आर्थ्राईटीस नामकी बिमारी मुझे हो गई थी...तब से मै बिस्तर पे ही हु...दोनों पैर गुटने से मुड़ते ही नही है ..दाहिना हाथ सीधा ही रहेता है और उसी हाथ की दो पहेली उंगलिया
हमेशा मुडी हुई रहेती है..और वो ही मुडी हुई उंगलिया के बिच्मेही पेन पकड़ कर लिखति हु ..इतने सालो से ऐसे ही कहानिया लिखके ,लेख लिखके जो मिलता था उससे घर चलता था मतलब खाना मिल जता था..पर अबा मेरी आखो का रेटिना दुर्बल हो गया है..और आखो की रौशनी को बचाने के लिए मुझे डर दो महीने में एक बार इंजेक्शन लेना पडेगा..डॉ ..कम करके भी मुझसे ५०००/ एक इंजेक्शन का कह रहे है..एक साल का इंजेक्शन मतलब ३०,००० Rs ..जो अब मेरे बस की बात नही रही..पर आख़ ही मेरा जीवन है...तो क्या आप मुझे मेरी आखों को बचाने के लिए मदद कर सकते हो???
अगर किसीको भी मुझसे मिलना है तो नीता आपको मेरे घर तक जरुर ले आएगी
मेरा add

यशोदा पलन
डी लोहाना परिषद्
पहेला माला ,रूम नम्बर ३९.. एन एस रोड
मुलुंड वेस्ट
मुंबई ..४०००८०
मेरे डॉ..का नाम है

डॉ.गौरांग शाह
9820047411

अगर नीता को कुश संदेश देना है तो उसका id है

neetakotecha.1968@gmail.com