Friday, June 19, 2009

कितने मौसम गुज़र गये बारीश के,
तुम्हारे बीना..

ये बार भी थोडा भीग लेंगे वापस,
तुम्हारे बीना ..

लोग समजेंगे नहीं हमारी दिल की तड़प को...
बिताता क्या है मेरे साथ ,तुम्हारे बीना..

बारिश में ना भीगेगा ये जिस्म सिर्फ मेरा..
पर रो लेगा वापस ये दिल भी तुम्हारे बीना...

नीता कोटेचा..

1 comment:

aameen khan said...

bahut hi tadap hai iss kavita may.